एलेक्ज़ेंडर की तीन अंतिम इच्छाएं

एलेक्ज़ेंडर की तीन अंतिम इच्छाएं

एलेक्ज़ेंडर (सिकंदर) संपूर्ण विजय तात्पर्य अपना लक्ष्य पूर्ण कर अपने गंतव्य की ओर वापसी कर रहा था इसी के मध्य उसका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब हो गया। मौजूदा समस्त उपचार एवं सुविधाओं का उपयोग करने के बाद भी उसकी जान बचा सकना संभव नहीं हुआ अपनी मृत्यु से पूर्व सिकंदर ने अपने मुख्य सलाहकारों को बुलाया और उनके सामने अपनी तीन अंतिम इच्छाएं रखीं।

1- मुझे जिस ताबूत से ले जाया जाये उसे संपूर्ण संसार के सर्वोत्तम चिकित्सक कन्धा प्रदान करें । इस संसार को यह जानना अति आवश्यक है कि कोई भी बड़े से बड़ा चिकित्सक आपको मृत्यु से नहीं बचा सकता।

2- जब मेरा शव लेकर कब्रिस्तान जाया जाए तो संपूर्ण मार्ग पर हमारी संपूर्ण अर्जित धन दौलत मार्ग पर बिखेर दी जाए इस सन्देश से इस संसार को यह अवश्य ज्ञात होगा कि यह संपूर्ण दौलत कितनी भी हम कमा ले यह संपूर्ण दौलत इसी संसार में रह जाएगी।

3- मुझे कब्रिस्तान ले जाते हुए मेरे दोनों हाथ कफ़न से बाहर रखना, इस संसार को यह जानना आवश्यक है कि व्यक्ति खाली हाथ आता है और खाली हाथ ही इस दुनियाँ से विदा होता है ! आपके साथ आपके अच्छे किए हुए कर्म और जो आपने इस संसार को प्रेम स्नेह सौहार्द परोसा है वह यह संसार सदा स्मरण कर आपके व्यक्तित्व एवं कुटुंब को सदा सम्मान प्रदान करेगा।

इस उपरोक्त वृत्तांत को हम सभी को सदा स्मरण रखना चाहिए इस भूलोक में हमारे आने का क्या मकसद है इस विषय पर प्रत्येक मानव को अवश्य चिंतन कर अपना स्यम का सुमार्ग सुनिश्चित करना चाहिए, इस संसार को हम क्या ऐसा देकर जाए जिससे सदा हमारा व्यक्तित्व पूज्नीय रहे और हमारे कुटुंब को इस संसार का स्नेह, प्रेम सदा प्राप्त होता रहे।

जो हम वितरित करते है वही हमको पुनः प्राप्त होता है और जो एकत्रित करने का क्रम निरंतर हम बनाए रहते हैं वही हमारे लिए जीवन के लिए विषाद होजता और यह जन्म-जन्म तक विषाद के रूप में हमारे साथ चलता है अपनी आवश्यकता अनुरूप अर्जन उत्तम एवं उचित है। कोई भी विषय अधिकतम हो जाए तो निश्चित है उसके दूषित परिणाम ही हम को प्राप्त होते है।

द्वारा
संजय सिंह भैया
साभार संस्कार यज्ञ

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