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बड़ा लक्ष्य बड़े त्याग के बिना नहीं संभव

आप किसी वस्तु क्रय करने बाजार जाते है तो उसका एक उचित मूल्य अदा करने पर ही उसे प्राप्त करते है। इसी प्रकार जीवन में भी हम जो प्राप्त करते हैं उसका कुछ ना कुछ मूल्य चुकाना ही पड़ता है।
स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है महान त्याग के बिना महान लक्ष्य को पाना संभव नहीं। यदि आपके जीवन का लक्ष्य महान है तो भूल जाओ कि बिना त्याग और समर्पण के उसे प्राप्त कर लेंगे।

बड़ा लक्ष्य बड़े त्याग के बिना नहीं संभव है। 

कई प्रहार सहने के बाद पत्थर के अंदर छिपा हुआ परमेश्वर का रूप प्रगट होता है। अगर चोटी तक पहुँचना है तो रास्ते के कंकड़ पत्थरों से होने वाले कष्ट को भूलना होगा।

करत करत अभ्यास के जङमति होत सुजान,
रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान।

अर्थात जब रस्सी को बार-बार पत्थर पर रगङने से पत्थर पर निशान पङ सकता है तो आप एवं हम द्वारा निरंतर शुभचिंतन एवं शुभ कार्यों का प्रयास करने से हमारे जीवन में निश्चित ही परिवर्तन आएगा।

प्रकृति परिवर्तनशील है और हमारा मानवीय जीवन प्रकृति पर आधारित है।

बाल्यावस्था,प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था तक हमारे शरीर में निरंतर परिवर्तन हुए और आगे भी होंगे यह विषय आत्मचिंतन का है। तो क्यों नहीं हम मानवीय जीवन में परिवर्तन ला सकते है। जब चाहे तब हम अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं।

जगत के रचयिता ने हमारे शरीर में परिवर्तन लाया हमें पता ही नहीं चला। शुभ मानस चिंतन हम आप पर ही निर्भर है। कि हम अपनी मनोदशा कहां तक परिवर्तित कर सकते है।


सतत प्रयास से हम अपने जीवन में परिवर्तन अवश्य ला सकते हैं।यदि धैर्य,परिश्रम एवं लगन से कार्य किया जाए तो निश्चित उस पर विजय प्राप्त कर प्रशंसनीय लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है और आप एक महान व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति बन सकते हैं।

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