वीर सपूत राइफलमैन संजय कुमार, पीवीसी

वीर सपूत राइफलमैन संजय कुमार, पीवीसी

Rifleman Sanjay Kumar, Param Veer Chakra

कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में भारत की विजय के 22 पूरे साल होने जा रहे हैं. 26 जुलाई 1999 को करगिल जंग में भारत ने जीत का झंडा लहराया था और लड़ाई को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था। इस युद्ध के दौरान भारतीय वीर सपूतों ने जिस तरह का शौर्य और पराक्रम दिखाया, उसी वजह से यह जीत मुमकिन हो पाई। करगिल युद्ध के दौरान चार बहादुर जवानों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। लेकिन इन चारों वीर सपूतों में से एक नाम है राइफलमैन संजय कुमार।

राइफलमैन संजय कुमार का जन्म 3 मार्च, 1976 को विलासपुर हिमाचल प्रदेश के एक गांव में हुआ था। मैट्रिक पास करने के तुरंत बाद उन्होंने फौज में शामिल होने के लिए प्रयत्न प्रारंभ कर दिए। संजय कुमार एक वक्त टैक्सी ड्राइवर थे और सेना की तरफ से तीन बार उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। परंतु अपने निश्चय पर अड़े संजय अपनी मेहनत से 26 जुलाई 1996 को फौज में 13 JAK RIF शामिल हो गए।

करगिल युद्ध की लड़ाई के दौरान वह उस टुकड़ी का हिस्सा थे जिसे मुश्कोह घाटी में प्वाइंट 4875 के फ्लैट टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

कारगिल युद्ध के दौरान 04 जुलाई 1999 को फ्लैट टॉप प्वाइंट 4875 की ओर कूच करने के लिए राइफल मैन संजय ने इच्छा जताई की कि वह अपनी टुकड़ी के साथ अगली पंक्ति में रहेंगे।
संजय जब हमले के लिए आगे बढ़े तो एक जगह से दुश्मन ओटोमेटिक गन ने जबरदस्त गोलीबारी शुरू कर दी और टुकड़ी का आगे बढ़ना कठिन हो गया। ऐसे में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संजय ने तय किया कि उस ठिकाने को अचानक हमले से खामोश करा दिया जाए। इस इरादे से संजय ने एकाएक उस जगह हमला करके आमने-सामने की मुठभेड़ में तीन दुश्मन को मार गिराया और उसी जोश में गोलाबारी करते हुए दूसरे ठिकाने की ओर बढ़े।
राइफल मैन इस मुठभेड़ में खुद भी लहूलुहान हो गए थे, लेकिन अपनी ओर से बेपरवाह वह दुश्मन पर टूट पड़े। इस आकस्मिक आक्रमण से दुश्मन बौखला कर भाग खड़ा हुआ और इस भगदड़ में दुश्मन अपनी यूनीवर्सल मशीनगन भी छोड़ गया।

इसके बाद राइफलमैन संजय ने उसकी वो गन भी ले ली और दुश्मनों पर लगातार हमला बोलते रहे और दुश्मनों की गन से दुश्मन का ही सफाया शुरू कर दिया। उनकी इस जांबाजी को देखते हुए उसकी टुकड़ी के दूसरे जवानों में भी जोश भर उठा और वे सभी दुश्मनों पर टूट पड़े। संजय के इस चमत्कारिक कारनामे को देखकर उसकी टुकड़ी के और दूसरे जवान बहुत उत्साहित हुए और उन्होंने बेहद फुर्ती से दुश्मन के दूसरे ठिकानों पर धावा बोल दिया। इस दौरान संजय कुमार खून से लथपथ हो गए थे लेकिन वह रण छोड़ने को तैयार नहीं थे और वह तब तक दुश्मन से जूझते रहे थे, जब तक वह प्वाइंट फ्लैट टॉप दुश्मन से पूरी तरह खाली नहीं हो गया।इस तरह राइफल मैन संजय कुमार ने अपने अभियान में जीत हासिल की।उनके इस शौर्य के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

Thank u Incredible Warrior for your duty!
We all are indebted to you.

RESPECT AND SALUTE

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जय हिंद।
जय हिंद की सेना!
जय भारत!

Sqn Ldr Rakhi Agarwal

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