मातृभूमि की सेवा

मातृभूमि की सेवा

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मर-मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।

“या तो तू युद्ध में बलिदान देकर स्वर्ग को प्राप्त करेगा अथवा विजयश्री प्राप्त कर पृथ्वी का राज्य भोगेगा”
गीता के इसी श्लोक को प्रेरणा मानकर भारत के शूरवीरों ने कारगिल युद्ध में दुश्मन को पाँव पीछे खींचने के लिए मजबूर कर दिया था। ऐसे अनेकों वीर साहसी योद्धाओं के ऋण से हम कभी भी मुक्त नहीं हो पाएंगे जिन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया।

कारगिल युद्ध को दो दशक पूरे हो चुके हैं। इस युद्ध में भारत ने अपने 527 जवानों को खो दिया था जबकि 1363 जवान घायल हुए थे। चार भारतीय जवानों को इस युद्ध में अदम्य साहस के लिए सेना का सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र प्रदान किया गया था। इनमें से दो को मरणोपरांत यह पदक दिया गया था जबकि दो हमारे बीच आज भी मौजूद हैं। ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव इस पदक को पाने वाले सबसे कम उम्र के जवान हैं। भारतीय जवानों ने इस युद्ध में अपने खून का आखिरी कतरा देश की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिया था।

मातृभूमि की सेवा का जज्बा ही कुछ ऎसा होता है कि कुछलोग इसके लिए हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर कर देते हैं। शहीद भीखाराम चौधरी की कुर्बानी इसी बात का अहसास करवाती है जिन्होंने हंसने-खेलने की उम्र में ही उसने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

राजस्थान की भूमि सदियों से वीरों और शूरों की भूमि भूमि रही है…. यह कदम कदम पर वीरता की गाथाएं बिखरी पड़ी है ।

शहीद भीखाराम को राजस्थान का प्रथम कारगिल शहीद का दर्जा प्राप्त है ।

भीखाराम मूंढ (1977-1999) (Bhikha Ram Moondh) का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले की पचपदरा तहसील के पातासर गाँव में 16 जनवरी 1977 को चेनाराम चौधरी और राई देवी के घर हुआ ।आपके पिता RAC जोधपुर में पदस्थ थे आपने अपनी शिक्षा हनुवंत विद्या मंदिर तथा जोधपुर के सरकारी विद्यालय से प्राप्त की थी।
1994 में इनका विवाह भंवरी देवी के साथ हुआ तथा 26 अप्रैल 1995 में आपका चयन भरतोय सेना में बतौर सिपाही 4th जाट रेजीमेंट बटालियन में हुआ । सिपाही भीखाराम कैप्टन सौरभ कालिया के उस गश्ती दल में शामिल थे जिन्हें कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तान की घसपैठ का सबसे पहले पता चला व उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस घुसपैठ के बारे में सूचित किया ।


कैप्टन सौरभ कालिया अपने 5 सैनिकों के साथ 15 मई 1999 को द्रास सेक्टर की बजरंग पोस्ट पर गश्त के लिए गए थे जहां पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाए बैठे घुसपैठियों ने घात लगा कर हमला कर दिया भीषण मुठभेड़ हुई जिसमें गोलियां खत्म होने पर दुर्भाग्य से कैप्टन सौरभ कालिया तथा पांच अन्य सिपाहियों को पाकिस्तानी सेना ने जिंदा पकड़ लिया।
पाक क्रूरता के शिकार भारतीय सैनिक
उन युद्धबंदी भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान सेना ने 22 दिनों (15 मई 1999 से 6 जून 1999) तक अत्यंत ही बर्बर, पाशविक व अभूतपूर्व अमानवीय यातनांए दी। कैप्टन सौरभ कालिया व उन के साथ पाँच सैनिकों जिनका परिचय निम्न है

(1) शहीद सिपाही अर्जुनराम बसवाना (जाट) गाँव – बूढ़ी तहसील व जिला – नागौर (राजस्थान)

(2) शहीद सिपाही भीकाराम मूंड (जाट) गाँव – पतासर तहसील – पचपदरा जिला – बाड़मेर (राजस्थान)

(3) शहीद सिपाही बनवारी लाल बगड़िया (जाट) गाँव – सिगडोला बड़ा तहसील व जिला सीकर (राजस्थान)

(4) शहीद सिपाही मूलाराम बीडियासर (जाट) गाँव – कठौती तहसील – जायल जिला – नागौर (राजस्थान)

(5) शहीद सिपाही नरेश सिंह सिनसिनवार (जाट) गाँव – छोटी तालम तहसील – इगलाब जिला – अलीगढ. (उत्तर प्रदेश)

इन युद्ध बंदी सैनिकों को सिगरेटों से दागा गया, नाक, कान व होंठ काटे गऐ, अंगुलियां काटी गई, लगभग सारे दाँत व हड्डियां तोड़ी गईं, कानों में लोहे की गरम सलाखें डाली गई, आँखे फोड़ने बाद शरीर से निकाली गई, खोपड़ियां बंदूक की बट से तोड़ी गई।

इतनी यातनायें देने के बाद भी पाशविकता और बर्बरता की सारी हदें पार करते हुऐ इन बेबस निरीह सैनिकों के गुप्तांग तक भी काटे गये। जब भारत ने अपने इन सैनिकों की रिहाई के लिये प्रयास शुरू किये तब इन सैनिकों की कनपटी पर गोली मार कर हत्या कर दी गई। इन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ की ये सब इन सैनिकों के साथ तब हुआ जब वो जिंदा थे।


भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के मद्देनजर 9 जून 1999 को इन सैनिकों के क्षत विक्षत शव भारत को सौंपे गये ।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के इस कृत्य की कड़े शब्दों में भर्त्सना की गई ।

इन सभी वीरों ने हंसने खेलने की उम्र में मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया कैसे उऋण हो पाएंगे हम सब कभी भी????

Thank you Warriors for your duty!
We all are indebted to your Supreme Sacrifice
RESPECT AND SALUTE!

Indian Air Force
#kargil #SeemaSanghosh
#JaiHind #kargilVijayDiwas
ADGPI – Indian Army

जय हिंद।
जय हिंद की सेना!
जय भारत!

Sqn Ldr Rakhi Agarwal

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