वैदिक पद्धति संस्कृति एवं संस्कार

वैदिक पद्धति संस्कृति एवं संस्कार

सुबह-सुबह क्यों अपनी हथेलियों के दर्शन माने जाते हैं.. शुभ ?

शास्त्रों में भी जागते ही बिस्तर पर सबसे पहले बैठकर दोनों हाथों की हथेलियों (करतल) के दर्शन का विधान बताया गया है। इससे व्यक्ति की दशा सुधरती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जब आप सुबह नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस में मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें ।

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥

अर्थात मेरे हाथ के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है। मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है। अतः प्रभातकाल में मैं इनका दर्शन करता हूं। इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है, ताकि जीवन में धन, विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके। हथेलियों के दर्शन का मूल भाव यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त कर सकें। हमारे हाथों से कोई बुरा काम न हो एवं दूसरों की मदद के लिए हमेशा हाथ आगे बढ़ें।

सत्य सनातन संस्कृति के प्रति बच्चों में जागरूकता पैदा ना कर पाने के कई कारण हैं।
1:- सत्य सनातन संस्कृति हमेशा से हम सबके द्वारा उपेक्षित रही। जिस वजह से निश्चित रूप से हमारे बच्चों का भी सत्य सनातन संस्कृति से मोह भंग होता रहा।
2:- हमारी संस्कृति में हर दूसरे तीसरे दिन कोई न कोई त्योहार, व्रत आते ही रहते हैं। इस प्रकार कोई भी व्यक्ति इतना समय व्रत, त्योहारों को नहीं दे पाते हैं तो परिणति यह होती है कि बच्चों को सत्य सनातन संस्कृति से एक विरक्ति सी हो जाती है।
कारण बहुत हैं… और भी वजहें हैं।
सत्य सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए हम दो चार उपाय तो कर ही सकते हैं।
1:- माता पिता घर में पूजा अर्चना कम से कम समय में समाप्त करके बच्चों को नियमित समय पर उन्हें स्नानादि के पश्चात प्रशाद ग्रहण करने को प्रेरित करें।
2:- रविवार या छुट्टी के दिन दादा दादी या माता पिता कोई भी बच्चों को नजदीक के मन्दिर में ईश्वर के दर्शन कराने ले जांय।
3:- खाली समय में बच्चों को ईश्वर की महिमा के बारे में भक्त प्रहलाद जैसे छोटी छोटी कहानियां सुनायें और बच्चों में धर्म के प्रति आस्था पैदा करें। ध्यान रहे अति अंधविश्वास भी खतरनाक साबित होता है। इसलिए बच्चों को श्री मद्भागवत गीता और रामायण जैसे धर्मग्रंथों में से रोचक तथ्य ही बच्चों को कहानी के रूप में सुनायें।

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