आओ वेदों की ओर चलें

आओ वेदों की ओर चलें

वेद ही ईश्वर कृत क्यों ?
१.वेद हर सृष्टि के आदि में चार ऋषियों के मन में स्वयं ईश्वर द्वारा प्रगट किये जाते हैं ।
२.वेद सब मनुष्यों के लिए हैं, सब वर्गो के लिये हैं ।
३.वेद संस्कृत भाषा में हैं जिसे सिखने के लिए सबको एक जैसी मेहनत करनी पडती है।
४.वेद में सब प्रकार का ज्ञान विज्ञान सूत्र रुप में है।
५.वेद में सब बातें ईश्वर के गुण कर्म स्वभाव अनुसार हैं।
६.वेद में सब बातें सृष्टि नियमों के अनुसार हैं ।
७.वेद में कोई इतिहास वा किस्से कहानियां नहीं ।
८.वेद ही ईश्वरीय वाणी है- इसका साक्ष्य स्वयं ईश्वर ने किया है।
९.वेद सब प्रकार के अन्धविश्वास पाखंड पशुबलि पाषाण पूजा, मांसाहार, भूतप्रेत, जादूटोना आदि का समर्थक नहीं है ।
१०.वेद में सब प्रकार की प्रगति के उपाय बताए गए हैं।
११.वेद में कोई परिवर्तन नहीं- वेद शाश्वत एकरस हैं।
१२. वेद में ईश्वर जीव प्रकृति व सृष्टि का यथार्थ ज्ञान है।
१३. वेद सब सत्य विद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं उनका आदि मूल है ।
१४. वेद पूरी मानव जाति का संविधान है । वेद का पढना पढाना सुनना सुनाना सब मनुष्यों का परम धर्म है
१५. वेद मनुर्भव, वसुधैवकुटुम्बकम्, कृण्वन्तोविश्वार्यम्, प्रेम, सदाचार, परोपकार,यज्ञ व योग का संदेश देता है ।
द्वारा…………………………डा मुमुक्षु आर्य

||ओ३म् ||

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विश्व को वेद का सन्देश l

➡️ मनुष्य बन ! मनुष्य बन ! मनुष्य बन !

➡️ संसार में वेद ही एकमात्र ऐसा धर्मग्रन्थ है जो उपदेश देता है कि और कुछ नहीं ‘तू मनुष्य बन क्योंकि मनुष्य बनने पर तो सारा संसार ही तेरा परिवार होगा’ ।

➡️ वेद कहता है “मनुर्भव जनया दैव्यं जनम् |” इस उपदेश का सार यह भी है कि वेद संसार के सभी मनुष्यों की एक ही जाति मानता है ‘मनुष्य’ जाति ।

 ➡️ मनुष्य-मनुष्य के बीच की सारी दीवारें मनुष्य को मनुष्य से अलग कर विवाद, द्वेष, युध्द उत्पन्न करती है । 'वेद' शान्ति के लिए सभी दीवारों को समाप्त करने का आदेश देता है ।

➡️ वेद कहता है “मित्रस्य चक्षुषा समीरक्षामहे ।” सबको मित्र की स्नेह भरी आँख से देख | कितनी उदात्त भावना है । प्राणिमात्र से प्यार का कितना सुन्दर उपदेश है ।

➡️ एकता और सह-अस्तित्व के मार्ग पर चलने की प्रेरणा करता हुआ वेद कहता है "संगच्छध्वं सवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् ।" तुम्हारी चाल, तुम्हारी वाणी, तुम्हारे मन सभी एक समान हों । इस उपदेश पर चलें, तो फिर धरती कैसे स्वर्ग न बने ? 

➡️ अशाँति और द्वेष के वर्तमान वातावरण में मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए आज यह परमावश्यक है कि सभी विचारक, विद्वान और राजनीतिज्ञ ‘वेद’ के महत्व को समझें और उसके आदेश पर आचरण करें।

➡️ ‘वेद’ के मार्ग पर चलकर ही यह धरती स्वर्ग बन सकती है, यह एक ऐसा सत्य है, जिसे सभी को स्वीकार करना ही होगा।

➡️ धर्म का उद्भव वेदों से हुआ है अतः आओ धर्म की ओर चलें।।
आओ वेदों की ओर चलें l

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साभार
संस्कार यज्ञ

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