Theme Based Content- “चरित्र एवं व्यक्तित्व के निर्माण में नीति-नियम अनुशासन और संस्कारों का महत्व” – भगिनी निवेदिता

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भगिनी निवेदिता की जन्म जयंती २८ अक्तूबर २०२०

एक अत्यन्त उज्जवल चरित्र जिसका आत्म-बलिदान हमारी मातृभूमि का गौरव है, यहां मूर्तिमान हो हमें प्रेरणा दे रहा है: भगिनी निवेदिता, जिनके आत्म-निवेदन की गाथा हमारे देश के सभी श्रेणी के लोगों के मन में स्वदेश प्रेम एवं स्वधर्म प्रीति जागृत करने में पूर्णतया सक्षम है ।

स्वामी विवेकानन्द जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि “तुम भविष्य की भारत संतानों के लिए एकाधार में जननी, सेविका, और सखा बन जाओ।” और उनका यह आशीर्वाद अक्षरशः फलित भी हुआ था । भारत के धर्म, संस्कृति, दुःख और स्वप्न को निवेदिता ने पूरी तरह अपना समझकर ग्रहण किया । भारत के जन- साधारण के प्राणों की आशा- आकांक्षाओं, भारत की अन्तरात्मा के सत्यस्वरूप को उन्होंने अत्यन्त सूक्ष्मता से समझा था। दरअसल, भारत के प्रति उनका आत्मनिवेदन इतना आन्तरिक, सर्वांगीण और परिपूर्ण था कि भारतवर्ष की लज्जा और गर्व निवेदिता की लज्जा और गर्व बन गए थे। भारतवर्ष की बात उठते ही वे भाव-विभोर हो जाया करतीं। जपमाला लेकर भावस्थ हो वे ‘ भारतवर्ष, भारतवर्ष, भारतवर्ष ! मां, मां, मां !’ जप किया करतीं। श्री मां सारदा भी कहा करतीं कि, ‘ निवेदिता तो यहां की ही है। केवल श्रीरामकृष्ण देव के भाव एवं संदेश को प्रचारित करने हेतु उसने पाश्चात्य में जन्म लिया था।

ऐसे महान् चरित्र को सतत नमन

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